फिल्म समीक्षा
जिद और जुनून का शिलालेख: ‘भाग मिल्खा भाग‘
धीरेन्द्र अस्थाना
जो लोग सार्थक या गंभीर फिल्में देखने से
बचते हैं उन लोगों को भी ‘भाग
मिल्खा भाग‘ देख लेनी चाहिए। कारण कि यह
सिर्फ फिल्म नहीं है,
यह मनुष्य की जिद, जिजीविषा और जुनून का शिलालेख है। यह
दुनिया भर में भारत का झंडा लहराने वाले, फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर एक धावक मिल्खा सिंह की कहानी भर नही
है। यह उस मिल्खा सिंह के सफर का दस्तावेज है जो मिल्खा सिंह प्रत्येक मनुष्य के
भीतर मौजूद है मगर जिसे खोजा नहीं गया है। निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने जीवनी
जैसे शुष्क विषय में देश के विभाजन की त्रासदी और जख्म, कस्बाई रोमांस, गली कूचों की टपोरीगिरी और लड़कपन का
बिंदास रहन सहन मिलाकर मिल्खा सिंह के सफर और संघर्ष को बेहद रोचक और दिलचस्प
अंदाज में पेश किया है। राकेश मेहरा कहानी बुनना जानते हैं। उस पर गीत और पटकथा के
लिये उन्हें प्रसून जोशी जैसे बहुआयामी तथा प्रतिभाशाली रचनाकार का साथ मिला। कमाल
तो होना ही था। प्रसून जोशी के गीतों का एक अलग ही आस्वाद और तेवर होता है। उनका
यह रंग इस फिल्म में जमकर निखरा है। हवन करेंगे, प्याला पूरा भर दे जैसे गीत तो बहुत पहले से ही पॉपुलर हो चुके हैं
मगर उनका फिल्मांकन देखना और भी गजब लगता है। वर्तमान से फ्लैश बैक के बीच निरंतर
आवाजाही करना राकेश का मुहावरा है जो इस फिल्म में भी कायम है। वर्तमान से अचानक
अतीत में जाकर कुछ पकड़ना और फिर वर्तमान में लौटकर एक निर्णय को आकार दे देना इस
फिल्म में कई बार होता है और यही क्राफ्ट इस फिल्म को एक खूबसूरत ऊंचाई देता है।
इस फिल्म के माध्यम से फरहान अख्तर अभिनय के बहुत ऊंचे पायदान पर जा खड़े हुए हैं।
उन्होंने पर्दे पर सचमुच के मिल्खा सिंह को उतार दिया है। यह फरहान की नायाब
फिल्मों में गिनी जायेगी। और बीस पच्चीस साल बाद जब लोग उनसे उनकी पसंद की तीन
फिल्मों का नाम लेंने को कहेंगे तो ‘भाग मिल्खा भाग‘ इन
तीन में से एक होगी। जहां तक सोनम की बात है तो उनके हिस्से में ज्यादा कुछ आया
नहीं है मगर जितना भी रोल उन्हें मिला उसमें वह अपनी छाप छोड़ती हैं। दिव्या दत्ता
का नाम न लेना नाइंसाफी होगी। मिल्खा सिंह की बहन के रोल में उन्होंने बहुत ही
उम्दा काम किया है। इन दिनों खतरनाक विलेन के रूप में दिख रहे प्रकाश राज इस फिल्म
में कड़क आर्मी ऑफीसर के रूप में अलग ही मजा देते हैं। बाकी लोगों ने भी बेहतर काम
किया है। तीन घंटे बीस मिनट लंबी इस फिल्म को कई बार देखा जा सकता है।
निर्देशक: राकेश ओमप्रकाश मेहरा
कलाकार: फरहान अख्तर, सोनम कपूर, दिव्या दत्ता, प्रकाश
राज, दिलीप ताहिल (नेहरू जी के रोल
में)
संगीत: शंकर-अहसान-लॉय
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