फिल्म समीक्षा
‘घनचक्कर‘ का क्या है
चक्कर?
धीरेन्द्र अस्थाना
‘नो वन किल्ड जेसिका‘ जैसी सरोकारों और तेवर
वाली संजीदा फिल्म बना कर खुद को पहले ही काम से साबित कर लेने वाले निर्देशक राजकुमार
गुप्ता कॉमेडी लेकर आये हैं। पता नहीं फिल्मकारों को कॉमेडी का दामन थामना क्यों जरूरी
लगता है, उन्हें भी जो कॉमेडी को साध नहीं पाते। अच्छी
भली सस्पेंस और थ्रिल वाली कहानी थी ‘घनचक्कर‘
की जिसे कॉमेडी के रास्ते पर डालकर उलझा दिया गया। दो चार दृश्यों
को छोड़कर बाकी फिल्म में कहीं हंसी भी नहीं आती। यहां एक्टिंग की बात नहीं करेंगे क्योंकि
दोनों ही मुख्य कलाकार विद्या बालन और इमरान हाशमी मंजे हुए परिपक्व कलाकार हैं। विद्या
बालन ने पहली बार कॉमेडी की है और अपने चरित्र के भीतर उतर आयी हैं। चाल-ढाल,
बोली सब लिहाज से वह ठेठ पंजाबी कुड़ी नजर आती हैं। अगर कहा जाये
कि पूरी फिल्म को अपने अकेले के कंधे पर खींच ले गयी हैं विद्या बालन, तो गलत नहीं होगा। इमरान हाशमी ने भी अपने याद्दाश्त खो चुके
किरदार को कायदे से साधा है। बस झोल है तो केवल फिल्म की पटकथा में जो इंटरवल के बाद
पटरी से उतरी तो फिर लुढ़कती ही चली गयी। अंत में तो फिल्म निर्देशक के हाथ से ऐसी छूटी
कि उसका बैंड ही बज गया। फिल्म के अंत में अचानक एक व्यक्ति प्रकट हुआ वह भी चलती ट्रेन
में। उसने पहले उन दो गुंडों को मारा जिन्होंने इमरान हाशमी से एक बैंक लुटवाया था
और पूरे पैंतीस करोड़ रुपये उसे यह कहकर रखने को दिये थे कि तीन महीने बाद जब मामला
ठंडा हो जायेगा तब पैसे आपस में बांट लेंगे लेकिन इमरान पैसे रखकर भूल गया क्योंकि
एक दुर्घटना में उसकी याद्दाश्त चली गयी। तीन महीने बाद दोनों गुंडे उससे मिलने पहुंचे
तो वह उन्हें और पैसों को भूल चुका था। दोनों इमरान के पीछे लग गये। उन दोनों गुंडों
को मारने के बाद अज्ञात व्यक्ति ने विद्या बालन को मारा। फिर इमरान हाशमी को भी मार
दिया। फिर इमरान का एक फोनकॉल सुनकर वह वापस ट्रेन में लौटा और फिसल कर जमीन पर गिरा
तो खाने वाला कांटा उसकी गर्दन में घुस गया। इस प्रकार वह भी मारा गया। जब फिल्म के
सारे ही किरदार मारे गये तो फिल्म को खत्म होना ही था। अब आप खुद ही तय करें कि यह
कॉमेडी है या ट्रेजडी। हां फिल्म की एक खूबी यह जरूर है कि वह बांधे रखती है। पूरी
तो नहीं टुकड़ों में फिल्म मजा देती है।
निर्देशक: राजकुमार गुप्ता
कलाकार: इमरान हाशमी, विद्या बालन,
राजेश शर्मा, नमित दास
संगीत: अमित
त्रिवेदी
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