फिल्म समीक्षा
‘रास्कल्स‘ देखो और भूल जाओ
धीरेन्द्र अस्थाना
संजय दत्त के होम प्रोडक्शन की पहली फिल्म थी इसलिए उन्होंने ऐसा कोई रिस्क लेना उचित नहीं समझा कि मामला घर फूंक तमाशा जैसा बन जाए। ‘रास्कल्स‘ का निर्देशन उन्होंने डेविड धवन को सौंपा जो ‘माइन्डलेस कॉमेडी‘ के उस्ताद हैं। डेविड धवन को सिनेमा की सार्थकता वगैरह में कोई दिलचस्पी नहीं है। वह चाहते हैं कि दर्शक उनकी फिल्म देखने आए। सिनेमा हॉल में फिल्म देखने के बाद खुश खुश घर जाए और मस्त रहे। ‘रास्कल्स‘ उनके इस उद्देश्य को पूरा करती है। फिल्म को देखने जाते समय दिमाग घर छोड़ जाएं, उसकी ‘रास्कल्स‘ में कोई जरूरत नहीं है। कौन, कहां क्यों है, क्या कर रहा है, क्यों कर रहा है, कैसे कर पा रहा है इस सब झमेले में नहीं पड़ना है। केवल अधनंगे जिस्मों को देख आंखें सेंकनी हैं, मजेदार संवाद सुनने हैं, अदभुत विदेशी लोकेशन्स देखनी हैं, कुछ मजेदार घटनाओं के कारण घटता हास्य एंजॉय करना है और इस यथार्थ का लुत्फ उठाना है कि संजय दत्त, अजय देवगन और कंगना रानावत जैसे प्रतिभाशाली कलाकार जो फैशन, वन्स अपऑन ए टाइम इन मुंबई, मुन्ना भाई एमबीबीएस, अपहरण, वास्तव तथा गंगाजल के कारण जाने जाते हैं, बाजार के सामने कितने लाचार नजर आते हैं! कंगना ने जिस कदर देह प्रदर्शन किया है उसे देख शायद अब कोई उन्हें फिर से इस तरह देखने की इच्छा में नहीं तड़पेगा। कहानी पर कोई बात अब तक इसलिए नहीं की गयी है क्योंकि इस फिल्म में कोई कहानी है ही नहीं। केवल कुछ घटनाओं को इकट्ठा कर उनका कोलाज जैसा बनाया गया है। अजय देवगन और संजय दत्त मुंबई के ठग टाइप के चरित्र हैं जो पूरी दुनिया में लोगों को ठगते हुए घूमते हैं और आपस में रंजिश भी रखते हैं। दोनों की जिंदगी में कंगना रानावत आती है। थोड़ी कॉमेडी और सेक्स कंगना को पटाने की प्रक्रिया में दिखाया जाता है। अर्जुन रामपाल का चरित्र डाल कर फिल्म को थ्रिलर का स्पर्श देने की भी कोशिश की गयी है। हास्य जुटाने के लिए एक टुकड़ा दृश्य में सतीश कौशिक को भी लपेटा गया है और जिस्मानी नुमाईश सजाने के लिए कंगना काफी नहीं थी तो लीसा हेडन को भी टपकाया गया है। आप बोर नहीं होंगे। हंसेंगे, मजा लेंगे और घर लौट आएंगे। कुछ लोग सिनेमा का यही मकसद समझते हैं। उनको यह फिल्म दशहरा उत्सव का गिफ्ट है।
निर्देशक: डेविड धवन
कलाकार: संजय दत्त, अजय देवगन, कंगना रानावत, सतीश कौशिक, अर्जुन रामपाल, लीसा हेडन
संगीत: विशाल-शेखर
गीत: इरशाद कामिल-अन्विता दत्त
Saturday, October 8, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
wah ji wah! main dekhne jaa raha tha, ab nahi jaunga. kangna ko dekna hoga to unki koi better movie dekh loonga. beharhal, thank u.
ReplyDelete