फिल्म समीक्षा
जॉन की ‘फोर्स‘ में जान है
धीरेन्द्र अस्थाना
जिस तरह से सिनेमा हॉल भरा हुआ था उसे देख लगता है, कि आज की युवा पीढ़ी भी पिछली पीढ़ी की तरह एक्शन फिल्में देखने को तरजीह देती है। शायद इसीलिए इस वर्ष की तीनों एक्शन फिल्में ‘सिंघम’, ‘बॉडीगार्ड’ और ‘फोर्स’ बॉक्स ऑफिस पर भीड़ खींचने में सफल रहीं। जबकि तीनों फिल्मों के हीरो अलग अलग हैं - अजय देवगन, सलमान खान और जॉन अब्राहम। फोर्स में निशिकांत कामत ने मारधाड़ और रोमांस के अलावा एक बारीक सा कथा तत्व यह भी रखा है कि पुलिस फोर्स के लोग भी आम लोगों की तरह परिवार, इमोशंस और रोमांस को जीते हैं, जीना चाहते हैं। उनका प्यार उन्हें कमजोर भी बनाता है लेकिन मृत्यु के भय से वह जीने की चाहत नहीं छोड़ देते हैं। फिल्म को निशिकांत कामत ने कहीं भी ढीला नहीं छोड़ा है। कहीं एक्शन, तो कहीं संवाद तो कहीं अभिनय के जरिये पूरी फिल्म लगातार देखे जाते जाने की अनिवार्यता में तनी रहती है। यूं ‘फोर्स‘ भी पूरी तरह मसाला फिल्म है। एक तरफ ‘ड्रग्स’ का धंधा करने वाले गिरोह और उनके खूंखार गुंडे, दूसरी तरफ पुलिस के जांबाज अधिकारी और दोनों के बीच चल रही खतरनाक जंग। इस जंग के समानांतर चलती जॉन अब्राहम और जेनेलिया डिसूजा की खामोश लव स्टोरी, जिसे जेनेलिया अपने चुलबुलेपन से रसीला बनाये रखने की भरपूर कोशिश करती है। फिल्म का अंत तो परंपरा के मुताबिक गुंडों के संपूर्ण सफाये के साथ ही होता है, लेकिन पुलिस फोर्स के प्रमुख लोग भी इस जंग में शहीद होते हैं। यहां तक कि जॉन की प्रेमिका जेनेलिया डिसूजा भी। जॉन की बाहों में मरते हुए जब वह कहती है, ‘तुम्हारी बांहों में चैन से मरने का अंतिम सपना तो पूरा हो गया, लेकिन बाकी तमाम सपने रह गये’ तो फिल्म एक कारुणिक अध्याय का पन्ना पलट देती है। विद्युत जामवाल के रूप में हिंदी सिनेमा को एक नया, ओजस्वी खलनायक मिला है जो खतरनाक होने के साथ साथ कूल भी है। लेकिन जॉन अब्राहम के अपोजिट गुड़िया जैसी जेनेलिया की जोड़ी जम नहीं पायी। अपनी तरफ से जेनेलिया ने अभिनय में कोई कसर नहीं छोड़ी, मगर इसका क्या करें कि लंबे चौड़े डील डौल वाले जॉन के सामने वह बच्ची जैसी नजर आती रही। गीत जावेद अख्तर के हैं। जाहिर है कि वे अच्छे हैं। कुछ संवाद भी ध्यान खींचते हैं। मार धाड़ पसंद करने वाले दर्शक इसे भी देख लें। फिल्म निराश नहीं करेगी।
निर्देशक: निशिकांत कामत
कलाकार: जॉन अब्राहम, जेनेलिया डिसूजा, विद्युत जामवाल, राज बब्बर
गीत: जावेद अख्तर
संगीत: हैरिस जयराज/ललित पंडित
Tuesday, October 4, 2011
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AAP SAMEEKSHA KAMAAL KI KARTE HAIN, BHAI!
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