फिल्म समीक्षा
ठगी का मायाजाल : राजा नटवरलाल
धीरेन्द्र अस्थाना
दुनिया के एक शातिर ठग और छोटे मोटे डॅान के के मेनन को ठगने की कहानी है राजा नटवरलाल। इसे ठगता है इमरान हाशमी जो एक छोटा सा ठग है। इमरान हाशमी की प्रेमिका है हुमाईमा मलिक। यह पाकिस्तानी अभिनेत्री है और इसकी हिंदी में यह पहली फिल्म है। मगर वह पहली फिल्म में ऐसा कुछ नहीं कर पाई जो उसकी अभिनय क्षमता के प्रति उम्मीद जगाता हो। फिल्म में वह एक बार डांसर बनी है। छोटी मोटी ठगी से प्राप्त रकम को इमरान हुमाईमा पर लुटाता रहता है। इमरान का एक दोस्त है राधव जिसका इमरान के जीवन में बड़े भाई जैसा दर्जा है। इमरान एक बार कोई लम्बा हाथ मार कर हुमाईमा के साथ घर बसाना चाहता है और हुमाईमा को डांस बार से छुटकारा दिलाना चाहता है। एक दफा एक बार में शराब पीते हुए इमरान दो गुंडों की बातचीत सुन लेता है। दोनों कहीं से अस्सी लाख की रकम उठा कर कहीं पहुंचाने वाले हैं। इमरान फौरन अपने दोस्त राधव के घर पहुंचता है और उससे इस बड़ी ठगी में सहयोग चाहता है। दोनों मिल कर यह रकम पार करने में कामयाब हो जाते हैं और आपस में चालीस चालीस लाख बांट लेते हैं। लेकिन समस्या यह पैदा होती है कि यह रकम साउथ अफ्रीका के केपटाउन शहर में बैठे डॅान के के मेनन की है। वह दोनों की सुपारी दे देता है। इस क्रम में इमरान का दोस्त राधव मार दिया जाता है। हत्यारों को इमरान की तलाश जारी है लेकिन इमरान को अभी तक पहचाना नहीं गया है इसलिए वह बचा हुआ है। इमरान हिमाचल के शहर धर्मशाला पहुंचता है जहां देश का सबसे बड़ा ठग परेश रावल रहता है। यह बात इमरान को एक बार राधव ने ही बताई थी। इमरान परेश से अपना साथ देने की गुजारिश करता है। वह परेश के सहयोग से के के मेनन को ठग कर राधव की मौत का बदला लेना चाहता है। इसके लिए उसके पास एक योजना है। के के की एक बड़ी कमजोरी क्रिकेट है। इमरान एक नकली क्रिकेट टीम के के को बेच कर उससे कई सौ करोड़ रूपये ऐंठना चाहता है। यह है पूरी पटकथा जिसके उपर यह लगभग ढाई घंटे की फिल्म खड़ी हुई है। इस फिल्म के दो सकारात्मक गुण भी हैं। पहला इमरान, परेश रावल और के के मेनन का शानदार और सहज अभिनय। जो जिस किरदार में है उसमें एकदम जीवंत और विश्वसनीय लगता है। दूसरा गुण है संजय मासूम के बेहतरीन संवाद जो कहानी से मेल खाते हैं। फिल्म के एक दो गाने भी अच्छे हैं। के के मेनन को कितनी सफाई से ठगा जाता है इस पूरी प्रकिया को बड़े दिलचस्प ढंग से बुना गया है। लेकिन इसमें कुछ अतिरंजना भी है। क्रिकेट टीमें इतने साधारण तरीके से नहीं बिका करतीं। उनकी बोलियों का नजारा बेहद भव्य और राजसी होता है। उसमें ग्लैमर भी बहुत होता है। लेकिन इतनी सिनेमाई आजादी तो चलती है। फिल्म को अभिनय के मोर्चे पर बेहतरीन और कहानी के मोर्चे पर साधारण माना जा सकता है। लेकिन कहीं पर भी फिल्म बोर नहीं करती। एक बार देखी जा सकती है।
निर्देशक : कुणाल देशमुख
कलाकारः इमरान हाशमी, हुमाईमा मलिक, परेश रावल, के के मेनन
संगीत : युवान शंकर राजा
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