फिल्म समीक्षा
झोल का ‘जैकपॉट‘
धीरेन्द्र अस्थाना
कैजाद गुस्ताद की फिल्म ‘जैकपॉट‘ कुछ अचरजों का पिटारा है। अचरज नंबर एक - ऐसी फिल्मों को फाइनेंसर और वितरक कैसे मिल जाते हैं जबकि अनेक महान फिल्में रिलीज का मुंह बमुकश्किल देख पाती हैं। अचरज नंबर दो - नसीरुद्दीन शाह जैसा महान अभिनेता ऐसी फिल्मों का हिस्सा क्यों बन जाता है जो दर्शकों के साथ झोल करती हैं। अचरज नंबर तीन - फिल्म के तीन या चार गानों के लिए दस संगीतकार, दस गायक और आठ गीतकार क्या कर रहे हैं? वह भी ऐसे गाने जो याद नहीं रह पाते। नसीर इस खराब फिल्म का हिस्सा हैं लेकिन नसीर के अभिनय की वजह से ही यह फिल्म देखी भी जा सकती है। कैजाद की यह विशेषता तो रेखांकित करनी पड़ेगी कि उन्होंने नसीर को उनके अब तक के करियर का सबसे अनूठा लुक दिया है। फिल्म की सबसे बड़ी कमी उसकी मेकिंग है। फिल्म बहुत जल्दी जल्दी बहुत सारे फ्लैश बैक में से वर्तमान में आती जाती है। इससे दर्शक कन्फ्यूज हो जाता है। कहानी की डोर दर्शक के हाथ से बार बार छूट जाती है। मुख्यतः यह फिल्म कुछ ठगों की अजीबोगरीब दास्तान का सिनेमाई अवतार है। नसीरुद्दीन शाह गोवा के जैकपॉट नामक कसीनो का मालिक है। उसे सचिन जोशी, जो खुद को ‘ठग कलाकार‘ मानता है, एक आईडिया देता है। आईडिया यह कि कसीनो में जुए की एक बड़ी प्रतियोगिता रखते हैं जिसमें प्रथम विजेता को पांच करोड़ रुपये का ईनाम दिया जाएगा। इस प्रतियोेगिता को सचिन का ही कार्ड प्लेयर दोस्त जालसाजी से जीत लेगा। कसीनो में मौजूद ग्राहकों के सामने दोस्त को पांच करोड़ का ब्रीफकेस दिया जाएगा जिसे सचिन डकैत की शक्ल में आकर छीन ले जाएगा। इस डकैती की एफआईआर लिखाने के बाद इंश्योरेंस कंपनी से पांच करोड़ का क्लेम वसूला जाएगा। सचिन एक आइडिया और देता है। उसके अंकल की दो सौ पचास एकड़ की एक जमीन केवल दो सौ पचास करोड़ में खरीद कर उसे दस गुना ज्यादा दामों में बेच देंगे। इसके लिए विदेशी इन्वेस्टरों को डिज्नीलैंड बनाने का ऑफर दिया जाएगा। इन्वेस्टमेंट नसीर करेंगे। प्रॉफिट में सचिन और उनके दोस्तों का हिस्सा तीस प्रतिशत होगा। बाकी सत्तर प्रतिशत नसीर का। नसीर झांसे में आ जाते हैं। बहुत सारी घटनाओं और नकली हत्याओं के बाद पता चलता है कि सचिन ने नसीर के साथ बहुत बड़ा झोल कर दिया है। फिल्म के अंत में नसीरुद्दीन शाह पानी में डूब कर मारे जाते हैं और सचिन तथा उनका गैंग ठगी से कमाए गये पैसों का समान वितरण कर मजे करता है। इसमें नकली मुख्यमंत्री, नकली अंकल और नकली पुलिस इंस्पेक्टर के अलावा और भी ढेरों नकली किरदार हैं। फिल्म को देखने का कोई भी कारण फिल्म में मौजूद नहीं है।
निर्देशक: कैजाद गुस्तादकलाकार: नसीरुद्दीन शाह, सचिन जोशी, सनी लियोनी, मकरंद देशपांडे, भरत निवास
संगीत: शरीब शाबरी, तोशी शाबरी समेत दस संगीतकार
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