फिल्म समीक्षा
वार छोड़ ना यार: बात बनी नहीं यार
धीरेन्द्र अस्थाना
युद्ध एक भयावह शब्द है जो अगर सचमुच घट जाए तो मुल्कों की लाखों लाख आबादी पर बरबादी का कहर ढा सकता है। युद्ध में सिर्फ लोग ही नहीं मरते विश्वास और आशाएं भी मर जाती हैं। सिर्फ जिस्म ही लहुलुहान नहीं होते आत्माओं पर भी दाग लग जाते हैं। युद्ध एक गंभीर विषय है। इसे कॉमेडी बना कर पेश करना एक नया विचार हो सकता है लेकिन सार्थक विचार नहीं है। इसीलिए फिल्म ‘वार छोड़ न यार‘ के पास न तो दर्शक थे न समर्थक। फिल्म बनाने की मंशा जरूर पाक-साफ है कि एक युद्ध विरोधी संदेश दिया जाए। मगर फिल्म की बुनावट और कॉमेडी वाला जोनर जमा नहीं। बात शुरू से ही बन नहीं पायी। निर्देशक अपनी मंशा को अंजाम तक नहीं पहुंचा सका और कॉमेडी फिल्म अपने आप में ही कॉमेडी बन गयी। निर्देशक को युद्ध संबंधी कुछ देशी-विदेशी फिल्में देख लेनी चाहिए थीं। इस फिल्म का सबसे कमजोर पहलू इसकी अस्त व्यस्त और बचकानी पटकथा है। पूरी फिल्म में एक भी जगह हंसी नहीं आती, यह इस फिल्म की ट्रेजेडी है। वरना कलाकार कोई मामूली नहीं हैं इसमें। जावेद जाफरी हैं जो हंसाने के काम में माहिर हैं। संजय मिश्रा हैं जो कॉमेडी उस्ताद हैं। शरमन जोशी हैं जो खुद को सफल एक्टर साबित कर चुके हैं। सोहा अली खान हैं जिन्होंने एक संवेदनशील अभिनेत्री होने का दर्जा हासिल कर लिया है। मगर ये सब लोग मिल कर क्या कर लेते जब पटकथा और संवादों में न दम था न तालमेल। ऊपर से एक पाकिस्तानी जनरल द्वारा टॉयलेट कॉमेडी करवाना तो हद दर्जे का बेहूदापन रहा। फिल्म का एकमात्र सकारात्मक पक्ष यह है कि यह युद्ध को मनुष्य विरोधी, मुल्क विरोधी साबित करने की कोशिश करती है और इस तथ्य की तरफ उंगली उठाना चाहती है कि युद्ध दो देशों की अनिवार्यता नहीं है। युद्ध भी एक राजनैतिक कदम है जो देश की जनता का बुनियादी समस्याओं की तरफ से ध्यान हटाने के लिए कराया जाता है। कितना सार्थक संदेश था यह! इसे कॉमेडी के चोले में पेश करने की क्या वजह थी? गंभीरता से फिल्माते, फिर देखते इसका असर। लोग फिल्म देखने के लिए टूट पड़ते। कॉमेडी हर मर्ज का इलाज थोड़े ही है। अंत में यह कि ‘कौन बनेगा करोड़पति‘ गेम शो में सात करोड़ रुपये के दाम वाला सवाल यह हो सकता है कि इस फिल्म में पूरे 23 गायक क्या कर रहे हैं? इस हफ्ते फिल्म देखना टाल सकते हैं।
निर्देशक : फराज हैदर
कलाकार: शरमन जोशी, सोहा अली खान, जावेद जाफरी, संजय मिश्रा, मुकुल देव, मनोज पाहवा
संगीत: असलम केई
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