फिल्म समीक्षा
जानदार लेकिन जटिल
जॉन डे
धीरेन्द्र अस्थाना
यह एक शानदार जानदार फिल्म है लेकिन
बनी लार्जर दैन लाइफ वाले फार्मूले पर ही है। मतलब इसमें बहुत सारी बातें ऐसी हैं जिनका
कोई तर्क नहीं है और जो अविश्वसनीय भी हैं। फिल्म बहुत ज्यादा धीमी है लेकिन आश्चर्यजनक
ढंग से बांधे रखती है। मतलब रोचक भी है और रोमांचक भी। यकीनन यह एक मसाला फिल्म नहीं
है मगर बहुत अर्थपूर्ण या संदेशपरक भी नहीं है। यह फिल्म एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा करती
है कि क्या हर बेहतरीन फिल्म को उद्देश्यपूर्ण भी होना चाहिए या उद्देश्य कभी कभी नजरअंदाज
कर देना चाहिए। क्योंकि जॉन डे एक बेमकसद फिल्म है मगर मेकिंग, अभिनय और बुनावट के मोर्चे पर एक लाजवाब
फिल्म भी है। यह सिर्फ बदले पर आधारित एक रोमांचक ड्रामा है जिसमें नसीरुद्दीन शाह, रणदीप हुडा, शरत सक्सेना, मकरंद देशपांडे और विपिन शर्मा का अभिनय
जादू जगाता है। फिल्म की हीरोइन एलीना कजान जरा भी प्रभावित नहीं करतीं। अभी उनका हिंदी
उच्चारण भी दोषपूर्ण है। एक्टिंग करने के लिए एलीना के पास ज्यादा स्कोप और स्पेस भी
नहीं था। वह सिर्फ शराब पीती रहती है और मां बनने का सपना देखती रहती है। सस्पेंस बनाए
रखने के लिए ज्यादातर चरित्रों को परिभाषित नहीं किया गया है जिसके चलते फिल्म की कहानी
थोड़ी जटिल हो गयी है। फिल्म के जो प्रोमोज टीवी पर दिखाए गये वे भी काफी सांकेतिक और
जटिल थे इसलिए ज्यादा दर्शक फिल्म देखने थिएटर नहीं आए। फिल्म में लेकिन संवादों ने
समां बांधे रखा। मोटे तौर पर कहानी कुछ इस प्रकार है। नसीर एक बैंक का मैनेजर है। शरत
सक्सेना एक डॅान है। रणदीप एक क्रू्रर और संवेदनहीन पुलिस ऑफिसर है जो बचपन में अनाथ
हो गया था। वह शरत के लिए भी काम करता है। शरत ने एक फर्जी कंपनी बना कर किसानों की
हजारों एकड़ जमीन को हड़प कर वहां एक कैसाब्लांका एस्टेट खड़ी की और फिर उसमें आग लगवाकर
करोड़ों रुपयों का क्लेम वसूल किया। इस आग मंे नसीर की बेटी भी जल कर मर जाती है जो
एस्टेट में अपने दोस्त के साथ पिकनिक मनाने गयी थी। इस एस्टेट के कागज़ात जिस फाइल में
थे वह फाइल नसीर के बैंक के लॉकर में थी और इस लॉकर की मालकिन थी रणदीप की प्रेमिका
एलीना। यह फाइल रणदीप को छुपा कर रखने के लिए शरत ने दी थी। शरत वह फाइल वापस मांग
रहा था जबकि कुछ गुंडे नसीर को बंधक बना कर बैंक लूट चुके थे। इस लूट में फाइल चली
गयी थी। नसीर और रणदीप अपने अपने ढंग से फाइल चोरों के पीछे लग जाते हैं। इस प्रक्रिया
में बहुत खून खराबा होता है। अंत में नसीर के अलावा सब लोग मारे जाते हैं। एक अपराधी
का अंत होता है और एक नेक आदमी नसीर का आपराधिक जीवन आरंभ होता है। यह है जॉन डे।
निर्देशक: अहिशोर सोलोमन
कलाकार: नसीरुद्दीन
शाह, रणदीप हुडा, एलीना कजान, शरत सक्सेना, विपिन शर्मा।
संगीत: क्षिति तरे
14 सितंबर
2013
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