फिल्म समीक्षा
गुंडा राज के विरुद्ध ‘सिंघम‘
धीरेन्द्र अस्थाना
निर्देशक रोहित शेट्टी की नयी फिल्म ‘सिंघम‘ एक ‘एक्शन पैक्ड‘ ड्रामा है जो दर्शकों को शुरू से अंत तक न सिर्फ बांधे रखता है बल्कि कई दृश्यों में दर्शक सीट पर उछल उछल कर तालियां भी बजाते हैं। जब दर्शक खुद को फिल्म के साथ पूरी तरह जोड़ लें तो इसका मतलब है कि फिल्म कामयाब है। ‘वांटेड‘ और ‘दबंग‘ के बाद ‘सिंघम‘ भी इस दौर की फिल्मों में अपने एक्शन के लिए याद की जाएगी। अजय देवगन पूरी फिल्म में उसी तरह छाये हुए हैं जैसे ‘दबंग‘ में सलमान खान छाए हुए थे। मगर ‘सिंघम‘ तो ‘दबंग‘ से भी दो कदम इसलिए आगे है क्योंकि यह पुलिस विभाग का एक नया विमर्श बनती नजर आती है। नेता और माफिया के सामने पुलिस की मजबूरी, पुलिस का अपना द्वंद्व और सिस्टम के सामने समर्पण की मजबूरी पहले भी कई फिल्मों का कथ्य बना है। पर ‘सिंघम‘ उन सबसे आगे बढ़ कर एक नया पाठ यह पेश करती है कि जिस तरह जनता एकजुट हो कर कोई भी सत्ता बदल सकती है उसी तरह यदि पुलिस भी एकजुट हो जाए तो गुंडों और सत्ता का गठजोड़ उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। ‘सिंघम‘ सत्ता के खिलाफ पुलिस विद्रोह का नहीं गुंडा राज के विरुद्ध निर्णायक युद्ध का विमर्श बनती है। वह भी कानून के दायरे में रह कर। रोहित शेट्टी ने अपना कॉमेडी वाला पुट ‘सिंघम‘ में भी कई जगह बनाये रखा है। अभिनेता प्रकाश राज ने विलक्षण अभिनय किया है या कहें कि रोहित उनका श्रेष्ठतम निकलवाने में सफल हुए हैं। पूरी फिल्म अजय देवगन और प्रकाश राज के बीच ही घटती है। अजय देवगन ने सिद्ध किया है कि बतौर सोलो एक्टर भी वह फिल्म को हिट करवा सकते हैं। फिल्म के संवाद दमदार और लोकप्रियता का असर लिए हुए हैं। चाहे गांव की आम जनता हो या शहर का पुलिस विभाग, ‘सिंघम‘ समूह की ताकत को रेखांकित करती है। फिल्म की अभिनेत्री काजल अग्रवाल बस ठीक ठाक हैं लेकिन सचिन खेडेकर जैसे गंभीर अभिनेता ने उम्दा कॉमेडी की है। कॉमेडी का शालीन तड़का फिल्म को रिलीफ देता है। ‘बदमाश दिल‘ और ‘सिंघम सिंघम‘ वाले गीत प्रभावित करते हैं। बेहतरीन एक्शन फिल्म है। देख लेनी चाहिए।
निर्देशक: रोहित शेट्टी
कलाकार: अजय देवगन, काजल अग्रवाल, प्रकाश राज, सचिन खेडेकर, गोविंद नामदेव
गीत: स्वानंद किरकिरे
संगीत: अजय एवं अतुल गोगावाले
Saturday, July 23, 2011
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