Saturday, February 12, 2011

पटियाला हाउस

फिल्म समीक्षा

संवेदनशील और जीवंत ‘पटियाला हाउस’

धीरेन्द्र अस्थाना

निखिल आडवाणी की ‘पटियाला हाउस’ में अक्षय कुमार को संवेदनशील और मर्मस्पर्शी अभिनय करते देखना उन सबको अच्छा लगेगा जो मानते हैं कि अक्षय एक बेहतर एक्टर हैं। ‘सिंह इज किंग’ की अपार सफलता के बाद से वह लगातार एक अच्छी फिल्म की प्रतीक्षा में हैं। उनकी प्रतीक्षा ‘पटियाला हाउस’ पर आकर पूरी हुई है। बॉक्स ऑफिस पर ‘पटियाला हाउस’ का क्या बनेगा यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन कहानी, निर्देशन, गीत-संगीत, भावना प्रधान अभिनय, संपादन और छायांकन के स्तर पर ‘पटियाला हाउस’ एक उम्दा फिल्म है। क्रिकेट के बैकड्रॉप पर बनी यह फिल्म मूलतः पिता-पुत्र के टकराव को तो बयान करती ही है, तानाशाह मानसिकता के विरुद्ध लोकतांत्रिक इच्छाओं को भी रेखांकित करती है। फूहड़ मजाक और माइंडलेस कॉमेडी से बहुत दूर एक संवेदनशील और जीवंत ‘पटियाला हाउस’ ही असल में अक्षय कुमार का सही घर है। ऐसे ही घर दर्शकों के दिलों में उन्हें स्थायी बसेरा दिला सकते हैं। फिल्म की मुख्य कहानी यह है कि ऋषी कपूर अपने लंबे चौड़े कुनबे के साथ लंदन के साउथ हॉल में रहते हैं। अपने अकेले के दम पर लंदन में वह एक मिनी पंजाब खड़ा करते हैं और अंग्रेजों से नफरत करते हैं। अंग्रेजों का हिंदुस्तानियों के प्रति नस्लवादी रवैया उन्हें इस बात की इजाजत नहीं देता कि उनका अपना बेटा अक्षय कुमार ब्रिटिश टीम की तरफ से खेले। असल में अंग्रेजों से लड़ते-भिड़ते वह खुद तानाशाह बन जाते हैं। ‘पटियाला हाउस’ में सांस लेता लंबा चौड़ा परिवार एक तरह से कामनाओं का मकबरा बन जाता है। सत्रह साल क्रिकेट से दूर रहने के बाद अंततः अक्षय कुमार अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध जाकर इंग्लैंड की टीम में क्रिकेट खेलते हैं और इंग्लैंड को लगातार जीत दिलाकर खुद का होना सिद्ध करते हैं। ऋषी कपूर को पहले क्रोध आता है लेकिन बाद में कुछ इमोशनल ड्रामे के बाद उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है। वह अपनी जिद और एकाधिकारवादी सोच में नहीं अपने बेटे की खुशी और जीत में सार्थकता तलाशते हैं। एक स्पंदनहीन, इच्छा रहित, लगभग गुलाम पटियाला हाउस अपने-अपने सपनों के द्वार पर दस्तक देता नजर आता है। ऋषी कपूर, डिंपल और अक्षय कुमार तो मंजे हुए अभिनेता हैं लेकिन अनुष्का शर्मा ने एक बार फिर पंजाबी कुड़ी के किरदार में जान डाल दी है। उन्होंने रोचक और ‘रीयल’ अभिनय किया है। शंकर-अहसान-लॉय का संगीत दिल को भाता है।

निर्देशक: निखिल आडवाणी
कलाकार: अक्षय कुमार, अनुष्का शर्मा, ऋषी कपूर, डिंपल कपाड़िया, हार्ड कौर
संगीत: शंकर-अहसान- लॉय

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