फिल्म समीक्षा
बाहुबलियों का जंगलराज: आक्रोश
धीरेन्द्र अस्थाना
जब कभी प्रियदर्शन के भीतर का सरोकारों वाला निर्देशक जागता है तो दर्शकों को एक गंभीर और सामाजिक मंतव्यों से जुड़ी फिल्म देखने को मिलती है। वह सिर्फ कॉमेडी के ही सरताज नहीं विचारों के भी हरकारे हैं। उनकी नयी फिल्म ’आक्रोश‘ महानगरों के खुशगवार हालात से दूर उन बीहड़ इलाकों की टोह लेती है जहां आज भी बाहुबलियों का जंगलराज कायम है और जहां ताकत, वैभव तथा उच्चकुलीय अभियान के सामने सामान्य जन निहत्था और निरुपाय छोड़ दिया गया है। बैक ड्राप के रूप में प्रियदर्शन ने ’आक्रोश‘ में ऑनर किलिंग‘ का ताना-बाना खड़ा किया है, लेकिन असल में उनकी मूल चिंता उस साधारण, वंचित, दलित और सर्वहारा मनुष्य के साथ सलंग्न है जो जिंदगी के हर नये पल में नया सर्वनाश झेल रहा है। पंजाब या राजस्थान या उत्तर प्रदेश तो सिर्फ प्रतीक हैं। यह बनैला दमनचक्र व्यापक स्तर पर देश के प्रत्येक सुदूर इलाके में जारी है। वहां जहां सुरक्षा, सुविधा और सुखों की रोशनी आज भी नहीं पहुंची है। हिंसा के एक बेशर्म नंग नाच की पृष्ठभूमि पर प्रियदर्शन कर्तव्य पारायणता का बेबस पाठ भी तैयार करते है। तीन युवकों के गायब हो जाने के एक रहस्यमय केस की जांच करने के लिए सीबीआई अधिकारी अक्षय खन्ना पंजाब के एक गांव पहुंचते हैं। वहां उनकी मदद के लिए अजय देवगन हैं। दोनों मिलकर जब इस केस की गुत्थियां हल करते हैं, तब पता चलता है कि इलाके के चप्पे-चप्पे में बाहुबलियों की कितनी खतरनाक दहशत तारी है। आम आदमी की बेबसी का कितना दारुण दुखांत वहां कितनी आसानी से लिख दिया जाता है। यह चूंकि फिल्म है इसलिए ताकत का जंगली अंधेरा अंतिम सत्य के तौर पर स्थापित नहीं किया जा सकता था। इसीलिए अंत में तमाम बाहुबलियों के विरुद्ध न्याय की जीत होती दिखाई गयी है जबकि हकीकत दरअसल वहीं तक है जहां तक दमन का दावानल फैला हुआ है। एक अत्यंत यथार्थवादी फिल्म के जरिए आजाद हिंदुस्तान के भीतरी इलाकों में पसरा गुलाम जीवन दर्शाने के लिए प्रियदर्शन बधाई के पात्र हैं। फिल्म तीन प्रमुख पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती है- अजय देवगन, अक्षय खन्ना, परेश रावल। तीनों का काम उम्दा है। राहत देने के लिए समीरा रेड्डी का आइटम सांग है जो पहले ही मशहूर हो चुका है। फिल्म में बिपाशा बसु के लिए कायदे का ’स्पेस‘ नहीं रखा गया है। वह नहीं भी होतीं तो चलता। हाशिए पर जीती औरत के रोल में रीमा सेन ने बेहतरीन काम किया है। एक सार्थक फिल्म।
निर्देशक: प्रियदर्शन
कलाकार: अजय देवगन, अक्षय खन्ना, परेश रावल, बिपाशा बसु, रीमा सेन, समीरा रेड्डी
संगीत: प्रीतम चक्रवर्ती
Saturday, October 16, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment