फिल्म समीक्षा
काले तंत्र की क्रूर कथा : अगली
धीरेन्द्र अस्थाना
अनुराग कश्यप का एक और बेहतरीन प्रोजेक्ट : अगली। क्रूर तंत्र की काली कथा बयां करने का एक नया अंदाज और सिनेमा का एक नया पाठ। कितना कठिन संधर्ष किया है इस बंदे ने तब जा कर कहीं यह बॉलीवुड में अपनी खुद की लकीर खींच पाया है। अगली समाज के धुले पुछे लोगों के कुरूप चेहरों की पड़ताल करती है। इस फिल्म के हीरो हीरोइन इसकी कहानी है और उस कहानी को विमर्श में ढाल देने का अंदाज उसका क्राफ्ट है। इस फिल्म को इसलिए भी देखा जाना चाहिए ताकि पता चले कि अच्छा सिनेमा कैसे बुना और रचा जाता है। यह सौ करोड़ के क्लब में शामिल होने वाली फिल्म भले ही ना हो लेकिन सौ बरस के बेहतरीन सिनेमा की एक फिल्म अवश्य है। रोनित रॉय, राहुल भट्ट, तेजस्वनी कोल्हापुरे, सुरवीन चावला इन सभी कलाकारों ने अपने किरदार में जान लड़ा दी है। ये सब समय के हाथों पिटे हुए चरित्र हैं। राहुल एक स्ट्रगलर एक्टर है जिसे अब तक किसी भी फिल्म में मौका नहीं मिला है। उसका अपनी बीबी तेजस्वनी से तलाक हो चुका है और वह हर शनिवार अपनी बेटी कली को अपने साथ ले जाता है। तेजस्वनी ने राहुल को छोड़ एक कठोर, निर्मम पुलिस ऑफिसर रोनित रॉय से शादी कर ली है लेकिन इस रिश्ते में भी उसके हाथ हताशा और वंचना ही आयी है। इस दौरान तेजस्वनी और राहुल की बेटी कली को एक उचक्का उठा ले जाता है। कली को बांध कर छुपाने के बाद वह उच्चका एक सड़क दुर्घटना में मारा जाता है। राहुल कली के किडनेप की खबर लिखाने पुलिस के पास जाता है और खुद ही अपहरण के शक में घर लिया जाता है। अनुराग ने यह बताने की कोशिश की है कि बच्ची के अपहरण की सही खोज कोई नहीं करता। सब इस अपहरण के नाम पर अपनी निजी कुंठाएं और दुश्मनी तथा फायदे सिद्ध करना चाहते हैं। रोनित को राहुल को फंसा कर अपने कॉलेज के दिनों की दुश्मनी निकालनी है। तेेजस्वनी का भाई बहन से फिरौती की रकम मांग कर ऐश करना चाहता है। राहुल का दोस्त रोनित से पैसे एेंठना चाहता है। तेजस्वनी अपने पति के कू्रर और ठंडे व्यवहार से आहत और दुखी है। सब अपने अपने हिस्से की एक थकी हुयी लड़ाई लड़ रहे हैं जबकि वह बच्ची जिसका अपहरण हुआ था एक गली में बंघी सड़ रही है। जिस जगह से बच्ची का अपहरण हुआ था अगर उस जगह के आस पास की पुलिस महकमा तलाशी लेता तो शायद लड़की को बचा लिया जाता। अपहरण कर्ता की जिस बुआ के साथ पुलिस अंत में सख्ती बरतती है उसके साथ अगर शुरू में ही सख्ती से पेश आती तो शायद बंघक लड़की तक पहुंचा जा सकता था। यही तो है अनुराग कश्यप का अंदाज। उन काले कोनों को उजागर करना जहां किसी की नजर नहीं जा पाती। अवश्य देख लें। कहानी, एक्टिंग, निमार्ण सब कुछ बेमिसाल है।
निर्देशक : अनुराग कश्यप
कलाकारः रोनित रॉय, राहुल भट्ट, तेजस्वनी कोल्हापुरे, सुरवीन चावला
संगीत : जीवी प्रकाशराव