Tuesday, November 8, 2011

लूट

फिल्म समीक्षा

लूट सके तो लूट

धीरेन्द्र अस्थाना

कमर्शियल सिनेमा की दुनिया में जिसे ‘पैसा वसूल’ कहते हैं ‘लूट’ उसी तरह की फिल्म है। दिमाग घर पर रखकर सिर्फ मजा लेने के लिए ‘लूट’ का रुख कर सकते हैं। निर्माता सुनील शेट्टी ने पता नहीं क्यों इस फिल्म का कायदे से प्रमोशन नहीं किया। यही वजह है कि ‘लूट‘ बॉक्स आफिस को नहीं लूट सकी। वरना तो आम दर्शकों को रिझाने के लिए इसमें तमाम वो मसाले मौजूद हैं जो किसी भी कमर्शियल फिल्म को कामयाब बनाते हैं। बड़े सितारे हैं, अद्भुत तो नहीं लेकिन एक ठीकठाक सी कहानी है, एक्शन है, थ्रिल है, डांस है और है एक नयी सी लोकेशन। पूरी फिल्म को थाइलैंड के नजदीक स्थित पटाया सिटी में शूट किया गया है जिसे देखना आंखों को अच्छा लगता है। पता नहीं अपने हिंदुस्तानी शहरों में साफ-सफाई क्यों नहीं रखी जाती? फिल्म की वन लाइन स्टोरी यह है कि मुंबई के चार लोकल गुंडे और टपोरी-सुनील शेट्टी, गोविंदा, जावेद जाफरी और महाअक्षय चक्रवर्ती (मिथुन दा के बेटे) एक लोकल डॉन के कहने पर पटाया में किसी अमीर आदमी का घर लूटने जाते हैं लेकिन लोकल संपर्क श्वेता भारद्वाज द्वारा किसी गलत पते पर भेज दिये जाने के कारण खुद फंस जाते हैं। वह गलती से पटाया के एक खतरनाक डॉन महेश मांजरेकर की तिजोरी साफ कर देते हैं। इसके बाद शुरू होता है एक से बढ़कर एक दुर्घटनाओं में उलझने का सिलसिला। खास न होने के बावजूद पूरी फिल्म शुरू से अंत तक बांधे रखती है और मजे को खंडित नहीं होने देती। हर एक्टर अपनी अलग-अलग छाप छोड़ता है। जावेद जाफरी का हास्य, सुनील शेट्टी का एक्शन, महाअक्षय का लड़कपन और सबसे ऊपर गोविंदा का दिलचस्प तमाशा तथा रोचक संवाद। रवि किशन ने भी अच्छा कॉमिक रोल किया है। राखी सावंत का आइटम नंबर फिल्म की यूएसपी बन सकता था लेकिन उसे फिल्म के समाप्त हो जाने के बाद दिखाने से वह नष्ट हो गया है। हिंदी-पंजाबी फिल्मों के हिट गायक मीका ने भी इस फिल्म में पटाया के लोकल गुंडे का किरदार निभाया है और क्या खूब निभाया है।

निर्देशक: रजनीश ठाकुर
कलाकार: गोविंदा, सुनील शेट्टी, जावेद जाफरी, महाअक्षय चक्रवर्ती, रवि किशन, महेश मांजरेकर किम शर्मा, प्रेम चोपड़ा
संगीत: श्रवण, शमीर, मीका

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