Saturday, May 21, 2011

pyar ka panchnama

फिल्म समीक्षा
युवाओं के प्यार का पंचनामा
धीरेन्द्र अस्थाना

ऐसा नहीं है कि आज की युवा पीढ़ी केवल खाने पीने और मौज मजा करने मंे ही यकीन करती है। बदलते हुए सिनेमा के इस नये दौर में ऐसे युवा भी दस्तक दे रहे हैं जो अपनी पीढ़ी के संघर्ष, विफलता, स्वप्न,प्यार,अविश्वास और असुरक्षा को विमर्ष का विषय बना रहे हैं। ’प्यार का पंचनामा‘ ऐसी ही फिल्म है जो पूरी तरह युवाओं के बारे में बनायी गयी है। फिल्म का नाम जरुर पुराना लगता है लेकिन फिल्म का विषय एकदम आधुनिक है। आज से पच्चीस तीस साल पहले स्त्री-पुरुष की जो रिलेशनशिप होती थी आज वह पूरी तरह बदल गयी है। स्त्रियों की दुनिया में कई बुनियादी बदलाव आ गये हैं। लड़कियां उच्च शिक्षा प्राप्त हैं, आत्मनिर्भर हैं, अपने जीवन के निर्णय खुद ले रही हैं। अब वे अपना एक ‘स्पेस‘ चाहती हैं। अपनी आजादी उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय है। अब अपनी प्रॉब्लम्स पर वे बहस करती हैं। लड़ती-झगड़ती हैं। रिश्ते दिल से नहीं दिमाग से तय करती हैं। और लड़कियों का यह नया वजूद ही लड़कांे की नयी समस्या है। मोटे तौर पर इस फिल्म की यही कहानी है जिसे दिल्ली में घटित होता दिखाया गया है-दिल्ली के भदेसपन और उद्दंड चरित्र के साथ। दिल्ली की मस्ती और अराजकता के मनोभावों के बीच। और हां दिल्ली की गालियों सहित। तीन दोस्तों की कहानी है। एक साथ रहते हैं। अपने अपने काम पर जाते हैं और फ्रस्ट्रेट रहते हैं। तीनों की जिंदगियों में लड़कियां आती हैं तो लगता है कि जीवन को एक अर्थ मिल गया है। एक लंबा भांय भांय करता खालीपन भर रहा है। लेकिन गजब कि लड़कियां उनके जीवन में खुशबू की तरह नही उतरतीं। वे आती हैं तूफान की तरह और लड़कों के जीवन का हर सुंदर पल उड़ा ले जाना चाहती हैं। प्यार का स्वर्ग पाने की चाह लड़कों को प्यार का नरक पकड़ा देेती है। उन्हंे लगता है कि प्यार पाने के चक्कर में वह दुम हिलाने वाले कुत्ते हो कर रह गये हैं। लड़कियों के ‘स्पेस‘ ने उनका अपना ‘स्पेस‘ हड़प लिया है। तीनों अपने अपने तरीके से उन लड़कियों से अपना पिंड छुडाते हैं और फिर से अपने पुराने घर में एक साथ लौट आते हैं। इस सबके बीच में पीना-पिलाना, सेक्स करना, डांस-मस्ती-नशाखोरी भी चलती है। बेबाक गालियां भी और रोना उदास होना भी चलता रहता है। नये होने के बावजूद निर्देशक की कहानी पर गहरी पकड़ बनी रहती है। फिल्म का ‘कुत्ता‘ वाला गाना आज के मिजाज को सटीक अभिव्यक्ति देता है। सारे कलाकार नये ही हैं लेकिन उन्होंने जम कर अभिनय किया है। नये जमाने की फिल्म है। नये-पुराने दोनों वर्ग के दर्शकों को फिल्म का आस्वाद लेना चाहिए।

निर्देशकः लव रंजन
कलाकारः कार्तिकेय तिवारी, रेयो, दिवयेंदु शर्मा, ईशिता, नुसरत, सोनाली।
गीतः लव रंजन
संगीतः हितेश, क्लिंटन, लव
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