फिल्म समीक्षा
ऐसे भी तो संभव है ‘रावण‘
धीरेन्द्र अस्थाना
मणि रत्नम नामवर निर्देशक हैं। अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय को लेकर उन्होंने ‘गुरू‘ बनायी, जो बाॅलीवुड और अभिषेक बच्चन के करियर में मील के पत्थर की तरह दर्ज रहेगी। फिल्म बाॅक्स आॅफिस पर भी हिट हुई थी। अब मणि रत्नम ‘रावण‘ लेकर आये हैं। इसमें भी अभिषेक-ऐश्वर्या की जोड़ी है। मीडिया में इस फिल्म की आए दिन चर्चा होती रही है। कभी इसकी मेकिंग को लेकर, कभी इसमें फिल्माए जंगलों को लेकर कभी ऐश्वर्या तथा अभिषेक के हैरतअंगेज स्टंट दृश्यों को लेकर तो कभी शूटिंग के दौरान होने वाली मुसीबतों के चलते। इन सब पैमानों पर ‘रावण‘ खरी उतरती है। अभिषेक और ऐश्वर्या ने इस फिल्म में सचमुच अपने जीवन के अब तक के सबसे कठिन, खतरनाक लेकिन यादगार दृश्यों को अंजाम दिया है। फिल्म की मेकिंग, एडीटिंग, सिनेमेटोग्राफी, बैकग्राउंड म्यूजिक, निर्देशन, अभिनय, गीत सब कुछ आला दर्जे का और अनूठा है। लेकिन कहानी के स्तर पर फिल्म में एक जबर्दस्त चूक हो गयी है। न तो इस फिल्म का नाम ‘रावण‘ होना चाहिए था न ही इसके प्रमुख पात्रों को ‘रामायण‘ के पात्रों की छाया जैसा दिखाना चाहिए था। हर क्षेत्र के दिग्गज लोग इस फिल्म के साथ जुड़े हुए हैं। यह सलाह मणि रत्नम को किसी ने नहीं दी कि ‘रावण‘ जैसे बुराई के आपादमस्तक प्रतीक से भारत की जनता स्वयं को सकारात्मक स्तर पर कभी जोड़ना पसंद नहीं करेगी। रावण, रामायण और रामायण के पात्रों के आ जाने से फिल्म की भावनात्मक और संवेदनात्मक अपील पर प्रतिकूल असर पड़ा है। बौद्धिक स्तर पर भी इसकी कोई विशेष क्या, कतई जरूरत नहीं थी। सीधी सादी बीरा की कहानी है जो अपनी बहन पर हुए जुल्म का बदला लेने के लिए पुलिस अधिकारी की पत्नी का अपहरण करता है। दोनों में जंग होती है और अंततः प्रशासन जीत जाता है। विद्रोह कुचल दिया जाता है। कबीलाई नेता बीरा पुलिस अधिकारी की पत्नी रागिनी के प्रति आसक्त होता है। रागिनी भी उसकी अच्छाई, उसकी निष्ठा, उसके समर्पित प्रेम के कारण अंत में उसे लेकर कहीं भावनात्मक स्तर पर कमजोर पड़ती है। यह स्थिति एकदम स्वाभाविक भी है लेकिन एक यथार्थवादी कहानी के धरातल पर बने रह कर। लेकिन जैसे ही दर्शक को अहसास होता है कि यह नयी व्याख्या एक पौराणिक ग्रंथ के मशहूर चरित्रों के संदर्भ में हो गयी है, वह उससे अपना सामंजस्य नहीं बिठा पाता। इतनी प्रचारित, महंगी, बड़ी स्टार कास्ट वाली अद्भुत फिल्म इसीलिए दर्शकों के मोर्चे पर परास्त होती दिखती है। फिर भी एक जोखिम उठाने के लिए फिल्म की टीम से जुड़े सभी लोगों को सलाम। विशेष कर भोजपुरी स्टार रवि किशन को।
निर्देशक: मणि रत्नम
कलाकार: अभिषेक बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, विक्रम, गोविंदा, निखिल द्विवेदी, रवि किशन, प्रिया मणि
गीत: गुलजार
संगीत: ए.आर.रहमान
सिनेमेटोग्राफी: संतोष सिवन
Saturday, June 19, 2010
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