फिल्म समीक्षा
सत्ता का अंडरवर्ल्ड
‘अब तक छप्पन 2‘
धीरेन्द्र अस्थाना
सहारा इंडिया परिवार द्वारा बनायी गयी सुपरहिट फिल्म अब तक छप्पन का यह सीक्वेल भी बेहतर ढंग से बना और बुना हुआ सिनेमा है। हालांकि निर्देशक और प्रोड्यूसर बदल गये हैं लेकिन इस सीक्वेल में भी सहारा मूवीज स्टूडियो को क्रेडिट दिया गया है। अब तक छप्पन जहां खत्म हुई थी उस समय के दस साल बाद के कालखंड पर यह सशक्त सीक्वेल खड़ा हुआ है। मुंबई में बढ़ते क्राइम से चिंतित प्रदेश के गृह मंत्री विक्रम गोखले गोवा के अपने गांव में शांत जीवन बिता रहे एनकाउंटर अधिकारी नाना पाटेकर को फिर से बुला कर हालात संभालने को कहते हैं। नाना मना कर देेते हैं। लेकिन जब नाना का संगीतकार बेटा अमन उनसे कहता है कि मेरे पिता पुलिस हैं वह मछुआरे नहीं हैं जो पूरा पूरा दिन मच्छी पकड़ने में बिता देता है, तो नाना नयी जिम्मेदारी संभालने अपने बेटे के साथ फिर से मुंबई आ जाते हैं। आज के फिल्मी समय में यह जानना दिलचस्प होगा कि फिल्म में ना तो कोई आईटम सोंग है ना ही को लव ट्रैक। सीधे सीधे गुंडों और पुलिस की मुठभेड़ हैं। मुंबई आते ही नाना गुंडों का शूटआउट शुरू कर देते हैं। बदले में उन पर भी हमले होते रहते हैं। पिछली फिल्म में उन्होंने गुंडों के हमलों में अपनी पत्नी को खोया था। इस फिल्म में उनका इकलौता बेटा मारा जाता है। पुलिस विभाग में उनकी इज्जत करने वाले अधिकारी भी हैं तो उनसे जलने वाले भी। नाना किसी की परवाह नहीं करते और अपने जांबाज तथा मुंहफट अंदाज में काम करते रहते हैं। फिल्म में गुलपनाग एक क्राईम रिर्पोटर बनी है लेकिन उसके लिए फिल्म में कोई खास स्पेस नहीं है। राज जुत्शी विदेश में बैठा इंडिया का कुख्यात डॉन है। वह भी जब तब नाना पर हमले करवाता रहता है। नाना प्रदेश के मुख्य मंत्री और गृह मंत्री को अच्छा राजनेता मानता है लेकिन उस वक्त उसके पैरों तले की जमीन खिसक जाती है जब उसे पता चलता है कि सत्ता और अंडरवर्ल्ड का कितना गहरा गठजोड़ है। विदेश में बैठा डॉन राज मंत्री गोखले का आदमी निकलता है जिसने गोखले के कहने पर मुख्य मंत्री का मर्डर करवाया है ताकि गोखले मुख्य मंत्री बन सके । गोखले नाना को बताता है कि उसे तय करना है कि वह उसके साथ आएगा या वापस अपने गांव में जा कर मछली मारेगा। गोखले नाना को बताता है कि एक सफल राजनेता को पुलिस भी चाहिए और माफिया डॉन भी। अंत में मुख्य मंत्री की श्रद्धांजलि सभा हो रही है। गोखले के भाषण के समय नाना भी वहां पहुंचता है। पुलिस कमिशनर गोविंद नामदेव नाना का रिवाल्वर रखवा लेते हैं। भाषण के बाद नाना गोखले के पास पहंुच कर उनके पांव छूता है तो गोखले मुस्कुरा कर कहते हैं अच्छा फैसला किया। वैलकम बैक। नाना मंच से दो शब्द कहना चाहता है और इजाजत मिलने पर कहता है- मैनंे हमेशा छुप कर एनकाउंटर किये ताकि उनका कोई सबूत ना रहे। लेकिन आज मैं इस विशाल जन सैलाब के सामने एनकाउंटर करने वाला हूं। इसके बाद वह अपने कलम रूपी खंजर से गोखले को मार डालता है। फिर वह जेल में कहता है कि नयी पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे करप्ट लोंगो का एंनकाउंटर करती रहे। अच्छी फिल्म है देखनी चाहिए।
निर्देशक: एजाज गुलाब
कलाकार: नाना पाटेकर, गुल पनाग, विक्रम गोखले, गोविंद नामदेव
संगीत: राज जुत्शी, संजीव चौटा